हिन्दी केवल भाषा नहीं
परिभाषा है
भारतीयता की ,
पर्याय है
प्रत्येक दैवी-मानवी
सम्प्रेषण का .
माध्यम है
प्रबल हार्दिक , अमूल
भावुकता का ,
विनाश है
अंतस के व्यापक
तमस का .
प्रमाण है
परमोच्च आद्य व
सनातनता का.
ध्वनि है , झंकार है .
मानस की मूकता
अर्थ है, प्रभाव है
समग्र, पुष्ट
मानवीयता का .
हिन्दी भाषा ही नहीं
पहचान है
भारतीयता की.
हिन्दी को केवल भाषा कहना
अन्याय है ,
अपमान है ,
भारत माता का .
--- केशव कुमार
(मैसूर हिन्दी प्रचार परिषद् पत्रिका के मार्च २००६ में प्रकाशित )
बहुत बढ़िया....
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा भाई....
बहुत अच्छा लिखते हो...
हिंदी पर अच्छी पकड़ है....
Apney jis tarah se hindi ko kavita ke madhyam se parivasit kiya hai wo kabile tariff hai.Apki ye kavita hindi ko badhane me kafi madadgar sabit hogi.....
ReplyDeleteABHISHEK KUMAR SINGH
Hindi ke prati zid ki jarurat hai, jo yuvaon ko karni hogi. kavita achhi hai
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ...भाषा नहीं परिभाषा है ये....वाह...साधुवाद.
ReplyDeleteबेशक ! काबिले तारीफ़ है आपकी यह परिभाषा !
ReplyDeleteआगे भी आपकी बेहतरीन सृजन का हमें इन्तेजार रहेगा !
keshavji, hindi par atyant utkrishta kavita ke liye dhanyawad..... aur dheron shubhkamnayen
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