Tuesday, September 14, 2010

हिन्दी

हिन्दी केवल भाषा नहीं
परिभाषा है 
भारतीयता की ,
पर्याय है
प्रत्येक दैवी-मानवी
सम्प्रेषण का .
माध्यम है
प्रबल हार्दिक , अमूल
भावुकता का ,
विनाश है
अंतस के व्यापक
तमस  का .
प्रमाण है
परमोच्च आद्य व
सनातनता का.
ध्वनि है , झंकार है .
मानस की मूकता
अर्थ  है, प्रभाव है
समग्र, पुष्ट
मानवीयता का .
हिन्दी भाषा ही नहीं
पहचान है
भारतीयता की.
हिन्दी को केवल भाषा कहना
अन्याय है ,
अपमान है ,
भारत माता का .
            --- केशव कुमार

(मैसूर  हिन्दी प्रचार परिषद् पत्रिका के मार्च २००६ में प्रकाशित )

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया....
    बिल्कुल सही कहा भाई....
    बहुत अच्छा लिखते हो...
    हिंदी पर अच्छी पकड़ है....

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  2. Apney jis tarah se hindi ko kavita ke madhyam se parivasit kiya hai wo kabile tariff hai.Apki ye kavita hindi ko badhane me kafi madadgar sabit hogi.....
    ABHISHEK KUMAR SINGH

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  3. Hindi ke prati zid ki jarurat hai, jo yuvaon ko karni hogi. kavita achhi hai

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  4. बहुत सुंदर पंक्तियाँ...भाषा नहीं परिभाषा है ये....वाह...साधुवाद.

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  5. बेशक ! काबिले तारीफ़ है आपकी यह परिभाषा !
    आगे भी आपकी बेहतरीन सृजन का हमें इन्तेजार रहेगा !

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  6. keshavji, hindi par atyant utkrishta kavita ke liye dhanyawad..... aur dheron shubhkamnayen

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